अखिलेश आजमगढ़ नहीं करहल से लड़ेंगे चुनाव, सीट के इतिहास में छिपी है फैसले की वजह

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UPElections | वैसे तो आजमगढ़ से लड़ना भी अखिलेश के लिए सेफ ही होता लेकिन करहल एक तो अपना किला है, ऊपर से कई और फायदे हैं |Vikas0207 AkhileshYadav

मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ेंगे. ये एसपी की सबसे सेफ सीट मानी जाती है. इस सीट से एसपी पिछले 6 विधानसभा चुनावों में सिर्फ एक बार हारी है. साल 2007 के बाद लगातार जीत ही हुई है. पहले चर्चा हो रही थी कि अखिलेश आजमगढ़ से चुनाव लडेंगे. इस सवाल पर उन्होंने कहा था कि मैं चुनाव लड़ूंगा तो आजमगढ़ की जनता से पूछकर ही लड़ूंगा. ऐसे में समझना जरूरी है कि आखिर करहल सीट ही क्यों, आजमगढ़ क्यों नहीं?मैनपुरी की करहल सीट से एसपी को हर बार 45% से ज्यादा वोट मिले. साल 2017 में सोबरन सिंह यादव ने चुनाव लड़ा.

लखनऊ के पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि करहल सीट सैफई से लगी हुई है. महज 7 किलोमीटर की दूरी पर है. वह उनकी होम सीट की तरह है. वहीं आजमगढ़ दूर है, यहां उन्हें आना पड़ता. आजमगढ़ के लोगों की ये भी शिकायते रही कि वहां पर बहुत एक्टिव नहीं थे. ऐसे में सेफ सीट से ही लड़ेंगे. नहीं तो ममता बनर्जी की तरह बीजेपी घेर सकती है. त्रिपाठी आगे कहते हैं-

आजमगढ़ सीट से वे मजबूत रहते. लेकिन अपनी बेल्ट को संभालना भी जरूरी है. मैनपुरी में अपनी पिता की विरासत को भी जारी रखना है. करहल एकदम बगल में है आजमगढ़ में वो बात नहीं है. करहल जैसी रिश्तेदारियां और नेटवर्क आजमगढ़ में नहीं है.अखिलेश यादव को चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी लगातार चैलेंज कर रही है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखिलेश बहुत विकास करने की बात करते हैं. उन्होंने जहां विकास किया है उसे सीट से भी चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं हो रही है. ये मैसेज देकर बीजेपी अखिलेश को घेरना चाहती है.

पिछले कुछ चुनावों में देखा जाए तो यूपी के सीएम विधानसभा से नहीं बल्कि विधान परिषद से ही जाते हैं. योगी आदित्यनाथ ने भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था, वे भी विधान परिषद से ही गए थे. जब अखिलेश सीएम थे तो वे भी विधान परिषद के सदस्य थे.

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