मौसम की अनिश्चितता किसानों के लिए हमेशा जोखिम भरी होती है. फसल जब तक बिक न जाए ये अनिश्चितता बनी रहती है. पता नहीं कब ज्यादा बारिश हो जाए. पता नहीं कब सूखा पड़ जाए. ओले-पानी फसल बर्बाद कर दें. अगर मौसम मेहरबान बना रहा तो कहीं फसल में कीट न लग जाएं.
जिला उद्यान सहायक निदेशक निरंजन कुमार इस बारे में जानकारी दे रहे हैं. वो बताते हैं किसानों को अच्छे उत्पादन के लिए नई तकनीक अपनाना जरूरी है. इससे फसलों की सुरक्षा के साथ ही आमदनी में भी बढ़ोतरी होती है. किसान आजकल प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग कर रहे हैं ताकि जमीन में होने वाली खरपतवार से निजात मिल सके. प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग सब्जी की खेती के लिए किया जाता है. मल्चिंग विधि में किसानों को कम खर्च करना होगा और सिंचाई भी कम लगेगी.
फसलों में किसी भी प्रकार का दाग नहीं लगता. फल या सब्जी देखने में काफी आकर्षक होते हैं. इससे बाजार में उनकी मांग और दाम दोनों बढ़ जाते हैं. निरंजन कुमार बताते हैं वित्तीय वर्ष 2024 – 25 में पूरे बांका जिले में कुल 26 हेक्टेयर प्लास्टिक मल्चिंग का लक्ष्य है. इसमें किसानों को 50 % तक का अनुदान देने का प्रावधान है. किसान अपनी खेती को बेहतर बनाने के लिए प्लास्टिक मल्चिंग विधि से खेती कर सब्जियों की गुणवत्ता साथ खरपतवार पर भी नियंत्रण पा सकते हैं.
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