नागरमोथा एक प्रकार की घास या खरपतवार के रूप में उगता है, जिसका पौधा छोटा होता है और जड़ काफी मजबूत होती है. आयुर्वेद में नागरमोथा का उपयोग हजारों सालों से एक विशेष जड़ी-बूटी के रूप में किया जा रहा है. इसके पत्ते, बीज व जड़ सभी में अनेक स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं.
कन्नौज /अंजली शर्मा: कन्नौज में एक ऐसा इत्र बनता है, जो औषधीय गुणों से भरपूर है. इसे नागरमोथा के नाम से जाना जाता है. नागरमोथा को आम तौर पर ‘नट ग्रास’ के नाम से जाना जाता है. इसकी एक खास खुशबू होती है और इसका इस्तेमाल आम तौर पर पाक मसालों, इत्र और अगरबत्ती बनाने में किया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, नागरमोथा अपने दीपन और पाचन गुणों के कारण पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है, बशर्ते इसे अनुशंसित मात्रा में लिया जाए.
किन किन चीजों में होता प्रयोग नगरमोथा इत्र के साथ-साथ प्रमुख रूप से एसेंशियल ऑयल के रूप में जाना जाता है. इसका प्रयोग शमामा के इतर में सबसे ज्यादा होता है. क्योंकि यह एक गर्म इत्र है और यह तमाम तरह की औषधीय में भी प्रयोग किया जाता है. जोड़ों के दर्द, घुटनों के दर्द में यह बहुत लाभदायक होता है. वहीं हवन सामग्री में भी इसका प्रयोग होता है. नागरमोथा का इत्र निकल जाने के बाद इसका जो बुरादा बचता है वह भी प्रयोग में आ जाता है, जिसके मसाले से अगरबत्ती बनाई जाती है.
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