उत्तर कोरिया से बाहर निकलना भी अपने आप में सज़ा जैसा था. उन्होंने चीन से होते हुए जाने का फ़ैसला किया और इसके लिए उन्हें एक करोड़ वॉन खर्च करने पड़े.
पार्क चूंग-क्वोन जब नौजवान थे तो वे अपने देश उत्तर कोरिया के लिए परमाणु मिसाइल बनाने में मदद करते थे.मौजूदा वक्त में वो अपने पड़ोसी देश में सासंद बन गए हैं. इसी सप्ताह दक्षिण कोरिया में हुए चुनावों में चूंग-क्वोन सांसद चुने गए हैं.
"मैं मानता हूं कि ये इसलिए संभव हुआ क्योंकि ये उदारवादी लोकतंत्र की ताकत है और यहां के नागरिकों ने ये कर दिखाया है. ये एक चमत्कार है और देखा जाए तो आशीर्वाद भी."उत्तर कोरिया से जुड़े मामलों पर नज़र रखने वालो के लिए ये विकास का संकेत है. क़रीब 15 साल पहले पार्क उत्तर कोरिया से बचकर भाग आए थे. उस वक्त उनकी उम्र 23 साल थी. उन्होंने उत्तर कोरिया छोड़ने की अपनी योजना के बारे में न तो अपने माता-पिता को कुछ बताया और अपने परिवार के अन्य सदस्यों को.
जब तक वो यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हुए उन्होंने कोरियाई मीडिया से कहा कि उन्हें इस बात का अहसास हुआ है कि "उत्तर कोरियाई सत्ता किस कदर ग़लत है और भ्रष्टाचार के जाल में फंसी हुई है."ये मौक़ा उन्हें साल 2009 के अप्रैल महीने के एक दिन मिला. उत्तर कोरिया ने उस दिन अपने पहले इंटरकॉन्टिनेन्टल बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. ये वही मिसाइल थी जिसके बनने में उन्होंने कई सालों का वक्त दिया था.
1990 के वक्त से लेकर अब तक क़रीब 35 हज़ार उत्तर कोरियाई नागरिक अपने देश से भागकर दक्षिण कोरिया आ चुके हैं. लेकिन यहां आने वाले कई और नागरिकों की तुलना में पार्क जल्द ही अपनी नई ज़िंदगी में रम गए, ये एक चुनौती थी लेकिन संभ्रात परवार से होने और अच्छी शिक्षा के कारण उन्हें इसमें आसानी हुई. एक और व्यक्ति थे जी सोंग-हो जिन्होंने 1996 में भूख से जूझते अपने परिवार के लिए ट्रेन से कोयला चुराने की कोशिश में अपना एक हाथ और एक पांव गंवा दिया था. वो भूख से बोहोश हो गए थे और ट्रेन के दो डिब्बों के बीच बनी जगह से नीचे पटरियों पर गिर गए थे. ट्रेन के पहिए उनके ऊपर से गुज़र गए थे. बाद में वो किसी तरह उत्तर कोरिया के बचकर निकलने में कामयाब हुए.
पार्क कहते हैं कि उनके पहला उद्देश्य है दक्षिण आने वाले उत्तर कोरिया नागरिकों के लिए मदद की व्यवस्था करना. वो उन्हें आजीवन पैकेज देने के हिमायती हैं. वो कहते हैं कि कोविड महामारी के कारण सीमाएं सील कर दी गईं और उत्तर कोरिया से नए लोग दक्षिण कोरिया नहीं आ सके, ऐसे में उत्तर से आने वालों के लिए बजट में दिए प्रावधान पर फिर से विचार किया जाना चाहिए.
Deutschland Neuesten Nachrichten, Deutschland Schlagzeilen
Similar News:Sie können auch ähnliche Nachrichten wie diese lesen, die wir aus anderen Nachrichtenquellen gesammelt haben.
जात ना पूछो खाने की… 2024 में क्यों हो रही मटन, मछली और मुग़ल की राजनीति?चुनाव के मौसम में अचानक से लोगों का खाना कैसे इतना बड़ा मुद्दा बन गया, ये समझना जरूरी है।
Weiterlesen »
हाथी के बेहद करीब पहुंच गया शख्स, गजराज ने अचानक कर दिया हमला, सूंड से उठाकर हवा में ऐसा फेंका और फिर जो हुआ...हाथी के बेहद करीब पहुंच गया शख्स, गजराज ने अचानक कर दिया हमला
Weiterlesen »
Baisakhi 2024 Date: बैसाखी आज, जानें महत्व, इतिहास और मनाने का तरीका से लेकर अन्य जानकारीBaisakhi 2024 : बैसाखी के दिन को खालसा पंथ की स्थापना दिवस के रूप में मनाते हैं। इसके साथ ही ये एक कृषि से जुड़ा त्योहार है।
Weiterlesen »
शख्स ने पहना था शॉर्ट्स, तो बैंक के सिक्योरिटी गार्ड ने अंदर घुसने से रोका, वायरल हुआ Video, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहसशख्स ने पहना था शॉर्ट्स, तो बैंक के सिक्योरिटी गार्ड ने अंदर घुसने से रोका
Weiterlesen »
लोकसभा चुनाव 2024: भागलपुर में क्या 40 साल बाद एक बार फिर जीत पाएगी कांग्रेस -ग्राउंड रिपोर्टभागलपुर के चुनावी रण में एक तरफ़ जेडीयू के मौजूदा सांसद अजय मंडल हैं और दूसरी तरफ़ भागलपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा.
Weiterlesen »
खबरों के खिलाड़ी: अमेठी-रायबरेली में कांग्रेस से गांधी परिवार या कोई और लड़ेगा चुनाव? जानें विश्लेषकों की रायइस हफ्ते के ‘खबरों के खिलाड़ी’ में उत्तर प्रदेश की रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट को लेकर चल ही अटकलों से जुड़े सवालों पर चर्चा हुई।
Weiterlesen »