चीन की दादागीरी का मुकाबला, भारत सरकार तिब्बत की मुक्ति की मांग करे China indiachinastandoff VijayKranti6
जैसे-जैसे चीन की आर्थिक और सैन्य शक्ति बढ़ रही है, वैसे-वैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीनी सरकार की आक्रामकता भी गंभीर रूप लेती जा रही है। खास तौर से भारत के प्रति चीन की यह आक्रामकता नई गति पकड़ चुकी है। हाल की घटनाएं यही दर्शाती हैं कि भारत के प्रति चीनी व्यवहार सामान्य कूटनीतिक शिष्टाचार की सीमाओं को तोड़ते हुए अक्खड़पन और असभ्यता की सीमाओं में प्रवेश कर चुका है। इनमें से एक घटना में चीन ने भारत की भौगोलिक अखंडता को सीधी चुनौती दी है और दूसरी में भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रतीक संसद का...
चीनी सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा कि भूमि सीमा कानून चीनी इलाकों पर चीन की सार्वभौमिकता और अखंडता को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। यानी एक जनवरी से लागू इस कानून के तहत चीन सरकार और चीनी सेना को अरुणाचल के इन सभी इलाकों पर चीन का कब्जा सुनिश्चित करने का आदेश परोक्ष रूप से दिया जा चुका है। इस पर भारतीय विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता ने महज इतनी ही टिप्पणी की कि ‘यह पहली बार नहीं जब चीन ने किन्हीं भारतीय इलाकों का चीनी नामकरण किया हो। चीन पहले भी ऐसा कर चुका है।’ चीन के आक्रामक होते जा रहे...
कूटनीतिक शिष्टाचार और नियमों के अनुसार यदि किसी देश के दूतावास को मेजबान देश की किसी घटना, संगठन या नेता के विरुद्ध शिकायत हो तो उसका राजदूत मेजबान देश के विदेश मंत्रलय के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करता है। इस मामले में चीनी दूतावास के एक कनिष्ठ अधिकारी द्वारा भारत के मंत्रियों और सांसदों को अभद्र भाषा में चिट्ठी लिखने की घटना ने स्पष्ट कर दिया कि चीन सरकार और उसके राजनयिकों के मन में भारत, भारत सरकार और भारत की संसद के प्रति कितना सम्मान है। इस पत्र का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें...
लिहाजा जोर जबरदस्ती से छीनी गई तिब्बत की धरती पर खड़े होकर चीन सरकार को भारत के इलाकों पर कब्जा जताने का न तो कानूनी अधिकार है, न नैतिक और न राजनीतिक। जब तक भारत सरकार और उसके विदेश मंत्रलय को इतनी सरल और सीधी दलील देने की हिम्मत नहीं आती, तब तक चीन सरकार भारत के इलाकों पर दावे भी करती रहेगी, उनका चीनी नामकरण भी करती रहेगी और उसके अदने अधिकारी भी भारत के सांसदों का अपमान करने की हिम्मत करते रहेंगे। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट है कि चीन भारत के खिलाफ वैसा दुष्प्रचार भी करता रहेगा, जैसा पिछले दिनों...
चीन की दादागीरी से निपटने का यही रास्ता है कि तिब्बत के स्वतंत्र अस्तित्व को भारत सरकार खुद समङो और चीन से उसकी मुक्ति की मांग करे। भारत-चीन रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए आजाद तिब्बत की गुमशुदा कड़ी को उसकी जगह बहाल करना सबसे ज्यादा जरूरी है।
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