धान की फसल में अक्सर खैरा रोग लगता है. इस रोग से किसान की फसल सफेद या फिर पीली हो जाती है. फसल को खराब करने वाली यह बीमारी जिंक की कमी और मिट्टी में नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी से होती है
आदित्य कृष्ण/ अमेठी: वर्तमान में धान की बेरन तैयार हो गई है और धान की बेरन तैयार करने के बाद अब किसान धान की रोपाई कर रहे हैं . किसानों को धान की रोपाई के बाद कुछ खास बातों का ध्यान रखना है. जिससे वह अपनी फसल की रक्षा कर सकते हैं. इस खास विधि को अपनाने के बाद किसान बंपर पैदावार भी पाएंगे. इसके साथ ही किसानों की फसल में सभी प्रकार के रोग दूर होंगे. इन रोगों की रहती है संभावना, ऐसे करें बचाव खैरा रोग – . ऐसे में जिंक और डीएपी का प्रयोग कर इस रोग से निजात पाया जा सकता है.
जो भी बेरन अपने खेतों में लगाए वह सघन ना लगे. बल्कि एक से दो मीटर की दूरी पर बेरन लगे. जिससे फसल की ग्रोथ बढ़े और पैदावार बढ़ सके. दीमक रोग – किसानों की फसल में अक्सर दीमक लग जाता है. दीमक रोग से बचने के लिए किसानों को अपनी फसल में क्लोरोफिटे फास्ट दवा का छिडकाव करना चाहिए, जो दीमक से बचाता है. जैविक विधि – विभिन्न तकनीक के साथ ही किसानों को जैविक विधि अपनानी है. जैविक विधि का प्रयोग कर किसान अपनी फसल में बेहतर पैदावार कर सकते हैं.
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