बांग्लादेश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग ने 23 जून को अपनी स्थापना के 75 साल पूरे कर लिए हैं.
बांग्लादेश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अवामी लीग ने 23 जून को अपनी स्थापना के 75 साल पूरे कर लिए हैं. इस लंबे अरसे के दौरान अधिकतर समय यह विपक्षी पार्टी के तौर पर ही सक्रिय रही है.
हालांकि पार्टी के नेताओं ने इन आरोपों को निराधार बताया है. उनका कहना है कि सरकार में रहने की स्थिति में विपक्षी पार्टी की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इन नेताओं का दावा है कि पार्टी अपनी वैचारिक और राजनीतिक स्थिति से विचलित नहीं हुई है.
उसके बाद के नौ महीनों की लड़ाई के बाद पाकिस्तान की सेना के आत्मसमर्पण करने पर बांग्लादेश को स्वाधीनता मिली और आज़ादी के बाद 1975 में 15 अगस्त को शेख मुजीबुर रहमान हत्याकांड के बाद पार्टी के हाथों से सत्ता निकल गई.अवामी लीग उस हत्याकांड के बाद लगातार 21 वर्षों तक विपक्ष में रही थी. उस दौरान अवामी लीग को पहले इरशाद के ख़िलाफ़ आंदोलन और उसके बाद बीएनपी के कार्यकाल में कार्यवाहक सरकार के तहत चुनाव की मांग मनवाने में कामयाबी मिली थी.
अवामी लीग के आंदोलन के एक चरण में इस मुद्दे पर राजनीतिक हिंसा शुरू हो गई कि इस कार्यवाहक सरकार का प्रमुख आखिर कौन होगा. उस वजह से 22 जनवरी, 2007 को हुए चुनाव को रद्द कर दिया गया और सेना के समर्थन वाली कार्यवाहक सरकार ने सत्ता संभाली. अवामी लीग की वेबसाइट में कहा गया है, ".....बीएनपी ने जिया-उर रहमान की लोगों को दिखाने के लिए मतदान कराने की शैली में फरवरी 1996 में एक नाटकीय चुनाव के जरिए जबरन सत्ता में रहने का कुप्रयास किया था. लेकिन चुनावी प्रहसन के खिलाफ बांग्लादेश की सड़कों पर अवामी लीग की ओर से व्यापक आंदोलन के कारण खालिदा जिया को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा."
यहां इस बात का जिक्र जरूरी है कि उस साल संविधान के चौथे संशोधन के जरिए संसदीय प्रणाली को समाप्त कर दिया गया और राष्ट्रपति प्रणाली की स्थापना की गई. इसके लिए उस समय अवामी लीग को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था. उस समय चार के अलावा बाकी तमाम अख़बारों को बंद कराने के आरोप भी लगते रहे. उन्होंने बीबीसी बांग्ला से कहा, "दूसरी पार्टियों और विचारों को कोई तवज्जो नहीं देने की प्रवृत्ति उस समय भी थी और अब भी है. विपक्ष में रहते हुए लोकतंत्र, मताधिकार औऱ मानवाधिकार के मुद्दे पर उसका जो रुख था, सत्तारूढ़ पार्टी के तौर पर वैसा नजर नहीं आता. मतदान के नाम पर पिछले तीन चुनावों में जो कुछ हुआ है, वह सबके लिए शर्मनाक है."हालांकि अवामी लीग के नेता बीते कुछ वर्षों से लोकतंत्र की बजाय विकास पर ही ज्यादा जोर दे रहे हैं.
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