भड़काऊ और हिंसा के आह्वान वाले भाषणों पर असमंजस की स्थिति में संघ और भागवत?

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Opinion | नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में MohanBhagwat ने कहा था, 'कार्यक्रम का शीर्षक ‘Hindutva and National Integration’ न होकर ‘Hindutva is National Integration’ होना चाहिए.' | NilanjanUdwin

के मशहूर विलेन अजीत के डायलॉग्स और जोक्स को याद करें, जो असल में झूठ ही था, तो एक फिल्म में उनका किरदार अपने वफादार रॉबर्ट से अपने विरोधी को लिक्विड ऑक्सीजन में डाल देने के लिए कहता है. ये डायलॉग है कि लिक्विड उसे जीने नहीं देगा और ऑक्सीजन उसे मरने नहीं देगा.मोहन भागवत

इन सभाओं में वक्ताओं को ये कहते हुए देखा गया कि वो सनातनी हिंदुओं का आह्वान कर उन्हें हिंदू राष्ट्र के लिए खुद को तैयार करने के लिए कह रहे थे. यहां नाथूराम गोडसे की प्रशंसा भी की गई और साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को देशद्रोही तक कहा गया.भागवत के काम को और ज्यादा मुश्किल कर दिया मेजबान ग्रुप के चेयरमैन और पूर्व सांसद विजय दरदा ने. उन्होंने कुछ ऐसे सवाल जमा करके रखे थे जो कई लोग आरएसएस प्रमुख से पूछना चाहते थे, जब उन्होंने ये जाना कि ये इवेंट उनके ऑर्गनाइजेशन ने रखा है.

भागवत के अनुसार, लोगों को व्यक्तिगत रूप से एक विचार की कल्पना के साथ खुद को व्यवस्थित करना होता है और हिंदुत्व ऐसा नहीं है. वो लोग जो इसमें यकीन करते हैं अपनी क्षमता के अनुसार अपने अनुभव से इसे विकसित करते हैं और बदलाव लेकर आते हैं. अगर इस तरह की हिंसात्मक बातों की आलोचना न करके हमेशा इस पर पर्दा डाला जाए तो ये एक कैच 22 सिचुएशन की तरफ इशारा करता है और आरएसएस का नेतृत्व हर मौके पर ऐसी स्थिति में खुद को पाता है.

भागवत के लिए हिंदुत्व एक फुल स्टॉप नहीं है. ये कोई धर्म नहीं और न ही इसे किसी धार्मिक संस्कार में बांधा जा सकता है. लेकिन फिर कोई ये पूछ सकता है कि तब कुछ खास धार्मिक संस्कारों, रीति रिवाजों और परंपराओं को लेकर इतना जोर क्यों?

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