60 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा से असंतुष्ट नेताओं का भगवा खेमे से पलायन हो सकता है, लेकिन इसमें कमी लाने की कोशिश जारी रखी जाएगी. क्या भगवा पार्टी पिछले पांच वर्षो में मणिपुर के लोगों के बीच अधिक पैठ बनाने में सक्षम रही, इसकी पड़ताल अभी बाकी है. करीब से किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि भाजपा को घाटी के आठ-दस निर्वाचन क्षेत्रों में कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है.
60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 40 विधायकभाजपा ने मणिपुर में चुनाव के लिए 60 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करते हुए कड़ा कदम उठाया है. मतभेद व अलगाव से बचने के लिए अधिकांश मौजूदा विधायकों को बरकरार रखा है. हालांकि चुनाव हमेशा कठिन खेल होते हैं, जिनमें बहुत सारे 'अगर और लेकिन' तत्व होते हैं. ऐसे में नामों की घोषणा से असंतुष्ट नेताओं का भगवा खेमे से पलायन हो सकता है, लेकिन इसमें कमी लाने की कोशिश जारी रखी जाएगी. घोषित सूची में मुख्यमंत्री एन.
भगवा पार्टी ने वांगखेई विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के दिग्गज नेता इबोबी सिंह के भतीजे ओकराम हेनरी सिंह को मैदान में उतारा है. साल 2017 में ओकराम हेनरी सिंह को विजेता घोषित किया गया था, लेकिन 15 अप्रैल 2021 को उच्च न्यायालय ने चुनाव परिणाम को शून्य और शून्य घोषित कर दिया. इसने यह भी घोषणा की कि युमखम एराबोट सिंह वांगखेई निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित सदस्य होंगे. थौबल विधानसभा सीट पर ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ भाजपा के उम्मीदवार एल. बसंत सिंह होंगे.
भगवा पार्टी ने उरीपोक विधानसभा क्षेत्र से एक पूर्व आईएएस अधिकारी रघुमणि सिंह को भी मैदान में उतारने का फैसला किया है. उनका मुकाबला नेशनल पीपुल्स पार्टी के वाई. जॉयकुमार सिंह से होगा. सिंह उपमुख्यमंत्री हैं और इस तरह भाजपा उम्मीदवार के लिए मुश्किल हो सकती है. भगवा पार्टी के पास चुराचंदपुर और सिंघत सीटों जैसी कुछ सीटें जीतने की अच्छी संभावनाएं हैं, लेकिन चंदेल और तेंगनौपाल में उसे कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ेगा.
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