खरीफ की फसल धान की रोपाई के लिए किसान इन दिनों नर्सरी तैयार कर रहे हैं. धान की पौध तैयार करते समय किसानों को कुछ खास एहतियात बरतने की जरूरत है. ताकि किसानों को रोग रहित फसल से अच्छा मुनाफा मिल सके. धान की फसल में कंडुआ नाम का रोग लगता है. यह एक बीज जनित रोग हैं जिसका नर्सरी बिजाई के समय ही बीज उपचार करना बेहद जरूरी है.
जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. संजय कुमार ने Local18 को बताया कंडुआ एक बीज जनित बीमारी है. जो धान की बाली आने के बाद धान के दानों में गांठे बनने लगती हैं. इसके बाद बाली के ऊपर पीले रंग का पाउडर लग जाता है जो कि बाद में काला हो जाता है. बाद में ये रोग धान की पूरी फसल में यह फैलने लगता है. डॉ संजय कुमार ने बताया कि कंडुआ रोग की रोकथाम के लिए बीज उपचार करना जरूरी है. इसके साथ-साथ नर्सरी की बिजाई करते समय मृदा शोधन भी करना चाहिए. ऐसा करने से किसानों की फसल 99% तक सुरक्षित रहती है. डॉ.
धान के बीज को पानी भिगोते समय थिरम या कार्बेंडाजिम में से किसी भी दवा का इस्तेमाल करके भी शोध किया जा सकता है. डॉ. संजय कुमार ने बताया कि बीज शोधन के साथ-साथ मृदा शोध भी बेहद जरूरी है. जिसके लिए किसान खेत की अंतिम जुताई करते समय ट्राइकोडर्मा और बवेरिया बेसियाना को गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर खेत में बिखेर दें. उसके बाद केल्टीवेटर से जुताई कर दें. उसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर दें. फिर क्यारी बनाकर धान की नर्सरी की बिजाई कर दें.
Kandua Disease In Paddy Kandua In Crop Special Measures To Save Crop धान में मिथ्या कण्डुआ कण्डुआ रोग का प्रकोप
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