महाराष्ट्र के यवतमाल ज़िले के दाभाड़ी गांव के किसान क्या कह रहे हैं, इसी गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में किसानों से 'चाय पर चर्चा' की थी.
'हमने पीएम मोदी को 10 साल पहले किए गए उनके वादे याद दिलाए, बदले में हमें नज़रबंदी मिली'- ग्राउंड रिपोर्ट"जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां आए थे तो उन्होंने 16-17 वादे किए थे. उनमें से कोई भी पूरा नहीं हुआ. क्या यही मोदी की गारंटी है?"
लेकिन उन्होंने दस साल पहले जो वादे किए थे, उनकी क्या स्थिति है? क्या उनकी सरकार के दौरान किसानों के जीवन में कुछ बदलाव आया है? भास्कर ने बताया कि उन्हें पीएम किसान योजना के तहत हर साल छह हज़ार रुपये मिल रहे हैं. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को सालाना छह हज़ार रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है. यह योजना 2019 में शुरू हुई थी.
हमने दाभाड़ी में पीएम किसान योजना और फसल बीमा योजना के लाभार्थियों के बारे में जानने के लिए कृषि अधिकारियों से संपर्क किया. भास्कर के मुताबिक किसानों की हालत आर्थिक रूप से खस्ताहाल होती जा रही है क्योंकि लागत अधिक है और मूल्य कम मिलता है.भास्कर से बातचीत के बाद जब हम आगे बढ़े तो एक घर के सामने गाय और उसका बछड़ा बंधा हुआ दिखा. ये डिके परिवार का घर है. दरअसल पीएम मोदी ने 'चाय पर चर्चा' कार्यक्रम में इस परिवार से बातचीत की थी.
महाराष्ट्र में अगर किसी किसान की आत्महत्या सरकारी मानदंडों के अनुसार 'आत्महत्या' की श्रेणी में आती है, तो परिवार को एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है. मीरा को वह मदद मिल गई थी, लेकिन इस रकम के सहारे जीवन भर गुज़ारा नहीं चल सकता. 2006 से मीरा आंगनवाड़ी में सहायिका के तौर पर काम करने लगीं.मीरा अनिकेत की ओर देखते हुए कहती हैं, "मैंने अपने बच्चों का पालन-पोषण कितनी मुश्किलों से किया है. इतनी शिक्षा देने से कोई लाभ नहीं है, कोई काम धंधा नहीं है.
कुछ समय बाद हमारी मुलाकात विजय वानखड़े से हुई. वह दाभाड़ी की सरपंच सरिता वानखड़े के पति हैं. विजय के पास 10 एकड़ खेत है. इस बैठक से पहले दाभाड़ी के ग्रामीणों ने मोदी को उनके वादों की याद दिलाते हुए गांव में एक बैनर लगाया था. उस पर प्रतिक्रिया देते हुए, मोदी ने कहा था, ''जो लोग यहां कपास उगाते हैं, हमें मूल्य वृद्धि के लिए जाना होगा. आज क्या हो रहा है यहाँ कपास का निर्माण होता है, सूत बनाने के लिए कोल्हापुर जाना पड़ता है. यदि कपास यहां है तो धागा यहां क्यों नहीं बनता? जब धागा यहीं बनता है तो कपड़ा यहां क्यों नहीं बनता? अगर यहां कपड़े बनते हैं तो रेडीमेड कपड़े क्यों नहीं बनते? इससे कपास का मूल्यवर्धन होगा. इससे कपास किसानों को फायदा होगा.
किसान मौखिक रूप से शिकायत करते हैं कि उन्हें फसल बीमा का लाभ नहीं मिलता है. बड़खल ने बताया, "हमने अपील की थी कि किसी को भी फसल बीमा निरीक्षण के लिए भुगतान नहीं करना चाहिए." फार्म मालिक कैलास अरंकर ने बीबीसी मराठी को बताया, "चाय पर चर्चा के उसी दिन, मोदी ने दोपहर तीन बजे हमारे खेतों में नुकसान का निरीक्षण किया था. क्योंकि उस समय ओलावृष्टि हुई थी और चने और गेहूं की फसल को नुकसान हुआ था. उस साल गांव में लगभग 17 आत्महत्याएं हुई थीं."
उन्हें रोकते हुए अनिल राठौड़ ने गांव में बनी पानी की टंकी की ओर इशारा किया और कहने लगे, "2014 के बाद गांव में पानी सप्लाई के लिए एक करोड़ रुपये की टंकी बनी थी. हंसराज अहीर के गृह मंत्री रहते हुए गांव में 50 लाख की सीमेंट-कंक्रीट सड़कें बनाई गईं. मोदी के गांव आने के बाद विकास तो हुआ, लेकिन उतना नहीं, जितना चाहिए था."यह पूछे जाने पर कि और क्या किया जाना चाहिए, अनिल ने कहा, "हमें गांव में एक बैंक की ज़रूरत है. हमारे बच्चों के खेलने के लिए एक स्टेडियम की ज़रूरत है.
लेकिन, 2014 के बाद भी दाभाड़ी गांव में किसानों की आत्महत्या जारी है. गणेश राठौड़ के चाचा विट्ठल राठौड़ ने 2015 में आत्महत्या कर ली थी. 28 फरवरी 2024 को नरेंद्र मोदी यवतमाल के दौरे पर थे. इस अवसर पर उनके द्वारा विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया. इस मौके पर मोदी ने यवतमाल के लोगों की तारीफ़ की.
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