'लोकतंत्र खतरे में है' और ईडी, सीबीआई जैसी संस्थाओं के कथित 'दुरुपयोग' का सिंहनाद लेकर चुनाव में उतरने वाले विपक्ष से शायद ही किसी विश्लेषक को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद रही होगी.
लोकसभा चुनाव 2024: कांग्रेस में नई जान फूंकने वाले राहुल गांधी क्या उसे सत्ता की दहलीज तक पहुंचा पाएंगेमंगलवार को जब चुनावी नतीजे कांग्रेस और विपक्ष के बेहतर प्रदर्शन की ओर इशारा कर रहे थे तो उसी बीच कांग्रेस दफ़्तर में दोपहर को राहुल गांधी मीडिया से मिलने पहुंचे. उनका चेहरा खिला हुआ था.
लेकिन अब सुर बदले हुए हैं और ये पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री मोदी के सामने गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने की चुनौती होगी. समाजवादी पार्टी नेता जावेद अली खान कहते हैं, "हम निचले तबके, उपेक्षित, अल्पसंख्यक, पिछले वर्गों को प्राथमिकता पर रखते हैं. राहुल गांधी भी इन वर्गों के हितों को आगे रखकर बात करते हैं. राहुल गांधी और अखिलेश यादव की अच्छी केमिस्ट्री बन गई थी."वरिष्ठ पत्रकार संजीव श्रीवास्तव कहते हैं, "इन चुनाव में अगर कोई व्यक्ति मोदी के ख़िलाफ़ झंडा उठाकर अंगद की तरह पांव गड़ाकर खड़ा रहा तो वो राहुल गांधी थे. साल 2014 के बाद आज पहली बार उनको ईमानदारी से अपनी पीठ थपथपाने का अवसर मिला है.
साल 2014 और 2019 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार का ठीकरा उनके सिर फोड़ा गया, हालांकि कई कांग्रेस समर्थक इससे सहमत नहीं.उत्तर प्रदेश में मोदी और अमित शाह पर अखिलेश यादव कैसे पड़े भारी, योगी पर क्या होगा असरएक कांग्रेस नेता के मुताबिक, "चुनाव में बुरे प्रदर्शन के बावजूद ये राहुल गांधी ही थे जो अपने विश्वास पर दृढ़ रहे क्योंकि उन्हें उस पर विश्वास था कि लोकतंत्र में सबसे पहले आम लोग आते हैं जिन्होंने अपने प्रतिनिधियों को चुना है.
संजीव श्रीवास्तव कहते हैं, "इतनी जिल्लत, बेइज्ज़ती के बावजूद, इतने सार्वजनिक उपहास के बावजूद टिके रहने के लिए तो उनके 100 में से 200 नंबर हैं. लेकिन खाली टिके होने से कुछ नहीं होता. टिके रहकर डिलिवर करना महत्वपूर्ण है."लोकसभा चुनाव 2024: नरेंद्र मोदी के चार चुनावी मुद्दे, पहले जैसा कमाल दिखाने से कैसे चूकेअब माहौल बदला हुआ है कांग्रेस के ताज़ा आंकड़ों को उस 'डिलीवरी' का सुबूत माना जा रहा है.
दूसरे चरण में जब जनवरी में राहुल गांधी ने मणिपुर से भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू की, तब इसकी टाइमिंग पर कई सवाल उठे थे. योगेंद्र यादव कहते हैं, "कांग्रेस हमेशा से ही समाज के गरीब तबकों की पार्टी रही है, लेकिन उसकी नीतियां और उसका नेतृत्व दोनो उससे अलग हो रहा था. राहुल ने जो किया उससे जुड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई. ये प्रक्रिया अभी शुरू ही हुई है और उसको पूरा होने में अभी वक्त लगेगा.
वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक जावेद अंसारी कहते हैं, "राहुल गांधी ने देश में मोदी-विरोध का माहौल बनाया. उनकी यात्राओं ने कांग्रस कार्यकर्ताओं में जोश डाला और लड़ने का जज़्बा जगाया." भाजपा के कुछ नेताओ के इस संदर्भ में बयान ने इस बात को हवा दी, हालांकि बीजेपी के मैनिफेस्टो में इस बात का कोई ज़िक्र नहीं था और बीजेपी के नेतृत्व ने इसका खंडन भी किया.
आने वाले दिनों मे हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और सभी की निगाहें होंगी कि लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन और खासकर कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहता है.
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