Chhinnamasta Jayanti 2024: माता छिन्नमस्तिका का रूप माता भगवती की उन दस महाविद्याओं में शामिल हैं जो किसी भी जातक को सिद्धि देने के लिए जानी जाती हैं. 21 मई यानी आज माता छिन्नमस्ता की जयंती मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता छिन्नमस्ता की जयंती मनाई जाती है.
Chhinnamasta Jayanti 2024 : छिन्नमस्ता दस महाविद्या देवियों में से छठवीं देवी हैं. देवी का यह स्वरूप स्वयं का शीश काटने वाली देवी के रूप में जाना जाता है. देवी छिन्नमस्ता को प्रचण्ड चण्डिका के नाम से भी जाना जाता है. 21 मई यानी आज माता छिन्नमस्ता की जयंती मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता छिन्नमस्ता की जयंती मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी ने किसी महान उद्देश्य की पूर्ति हेतु स्वयं का मस्तक काट लिया था.
वे शक्ति, साहस और ऊर्जा की देवी हैं. माता छिन्नमस्ता देवी काली का ही एक रूप है. Advertisementमाता छिन्नमस्ता का स्वरूप देवी छिन्नमस्ता का स्वरूप अत्यंत वीभत्स्य एवं भयंकर है. देवी छिन्नमस्ता अपने एक हाथ में अपना स्वयं का कटा हुआ शीश तथा दूसरे हाथ में खड्ग धारण करती हैं. उनके गले से रक्त की तीन धाराएं प्रवाहित होती हैं तथा देवी का कटा मुख और डाकिनी एवं वर्णिनी नामक दो परिचारिकाएं उन रक्त धाराओं का पान करती हैं.देवी छिन्नमस्ता गुड़हल के पुष्प के समान लाल वर्ण की हैं.
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