EVM-VVPAT: सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT के काम करने के तरीके के बारे में चुनाव आयोग से विस्तार से पूछताछ की. कोर्ट ने कहा कि चुनाव प्रकिया को अपनी गरिमा है और इसकी स्वतंत्रता,निष्पक्षता को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने या फिर EVM के जरिये डाले गए वोट की VVPAT की सभी पर्चियों से मिलान गिनने की मांग वाली याचिकाओ पर सुनवाई पूरी करके आदेश सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वो EVM के हरेक पहलू पर अविश्वास नहीं जता सकते. असल में कोर्ट ने कहा कि हर चीज़ पर संदेह जताना ठीक नहीं है. आयोग अगर कुछ बेहतर काम कर रहा है तो उसकी तारीफ भी की जानी चाहिए. हमने आपकी बात को सुना क्योंकि हम भी चिंतित थे. लेकिन आयोग को हर तकनीकी चीज के लिए आपको सन्तुष्ट करने की ज़रूरत नही है. वोटर की सन्तुष्टि ज़रूरी है. पिछले कुछ चुनावों में मतदान की प्रतिशत बढ़ा ही है. यह लोगों के भरोसे को दिखाता है.सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT के काम करने के तरीके के बारे में चुनाव आयोग से विस्तार से पूछताछ की.
कोर्ट में मौजूद चुनाव आयोग से जुड़े अधिकारी ने EVM-VVPAT की पूरी प्रकिया की जानकारी को सिलसिलेवार तरीके से कोर्ट के सामने रखा. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम को लेकर आशंकाओं को सवालों के जरिये अधिकारी के सामने रखाकोर्ट में मौजूद चुनाव आयोग से जुड़े अधिकारी ने बताया कि एक वोटिंग यूनिट में एक बैलट यूनिट,कंट्रोल यूनिट और एक VVPAT यूनिट होती है..चुनाव से 7 दिन पहले सभी उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की मौजदूगी में VVPAT मशीन की फ़्लैश मेमोरी में चुनाव चिन्ह की तस्वीर अपलोड़ की जाती है.
अधिकारी ने कोर्ट को ये भी बताया कि एक बार भी ऐसा नहीं हुआ है कि EVM के जरिये डाले गए वोट और उससे जुड़ी वीवीपैट पर्चियों का मिलान नहीं हुआ हो.अधिकारी ने बताया कि EVM के जरिये हर 15 सेकेंड में एक वोट डाला जाता है. इस लिहाज से हरेक मिनट में चार वोट ही डाले जा सकते है. कभी भी ऐसा कोई केस अभी तक आयोग की जानकारी में नहीं आया है जब किसी एक मिनट में चार से ज़्यादा वोट डाले गए हो.मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक यह संभव नहीं है कि एक व्यक्ति एक से ज्यादा वोट डाल पाए.
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