छपरा. सारण के किसान अब कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से नई-नई फसलें लगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. वैज्ञानिकों ने एक हाइब्रिड गजेंद्र किस्म का ओल तैयार किया है, जिसे किसान लगाकर मोटी कमाई कर रहे हैं. देसी ओल और इस हाइब्रिड ओल में काफी अंतर है.इस हाइब्रिड ओल को खाने से आपके मुंह में खुजली नहीं होगी, जबकि देसी ओल खाने से मुंह में खुजली और जलन होने लगती है.
एक पेड़ से 10 से 15 किलो का एक ओल प्राप्त होता है, जो बाजार में बीज के रूप में 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. इसकी एक और खासियत यह है कि इसे किसी भी बगीचे या बेकार पड़ी जमीन पर आसानी से उगाया जा सकता है. जिले के दरियापुर प्रखंड के खानपुर निवासी रणजीत सिंह ने 8 से 10 पेड़ लगाए हैं. वे पिछले दो वर्षों से इस हाइब्रिड गजेंद्र किस्म के ओल को उगाकर अच्छी उपज प्राप्त कर रहे हैं, जिसमें एक ओल का वजन 10 से 15 किलो तक हो रहा है.
किसान रणजीत सिंह ने बताया कि यह हाइब्रिड गजेंद्र किस्म का ओल है, जिसे लगाने में बहुत कम खर्च आता है। इसे लगाते समय केवल गोबर का इस्तेमाल किया जाता है और समय-समय पर खरपतवार निकालना पड़ता है. उन्होंने बताया कि यह ओल देसी ओल से काफी बड़ा होता है, जिसका वजन 10 से 15 किलो होता है और बाजार में यह देसी ओल की तुलना में काफी महंगा बिकता है. एक कट्ठा जमीन में तीन कुंटल से अधिक ओल होता है, जिसे 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचकर किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं.
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