ओमिक्रॉन का खतरा: 12 माह, 20 बैठकें, फिर भी जीनोम सीक्वेंसिंग पर राज्यों का ध्यान नहीं Omicron Covid19 MoHFW_INDIA
सामान्य जांच के जरिए किसी भी तरह के संक्रमण की पहचान हो सकती है लेकिन ओमिक्रॉन जैसे वायरस के किसी भी स्वरूप को जानने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग जरूरी है। साल भर पहले इन्हीं दिनों में कोरोना वायरस में नए-नए परिवर्तन देखने को मिले थे, जिसके बाद देश में जीनोम सीक्वेंसिंग को अनिवार्य करते हुए इन्साकॉग का गठन हुआ। यह तय हुआ कि हर महीने राज्यों को पांच फीसदी सैंपल सीक्वेंसिंग के लिए भेजना आवश्यक है, लेकिन 12 महीने में 20 से भी अधिक बैठक और निर्देश जारी होने के बाद भी राज्यों का अब तक इस पर ध्यान नहीं...
स्थिति यह है कि इस साल जून से अगस्त के बीच ही 50 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। के लिए नहीं आ रहे हैं।सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस साल जनवरी में 2207, फरवरी में 1321, मार्च में 7806, अप्रैल में 5713, मई में 10488, जून में 12257, जुलाई में 6990 और अगस्त में 6458 सैंपल की सीक्वेंसिंग हुई। सितंबर में 2100 और अक्तूबर में करीब 450 सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए पहुंचे हैं। इसके अलावा कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल 2021 में सरकार ने हर राज्य में जगहों का चयन करते हुए प्रत्येक जगह...
नई दिल्ली स्थित आईजीआईबी के वैज्ञानिक डॉ.
नई दिल्ली स्थित आईजीआईबी के वैज्ञानिक डॉ.
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