Supreme Court: क्या संविधान की प्रस्तावना से हट जाएंगे धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द? सुप्रीम कोर्ट में कैसी हुई बहस

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Supreme Court: क्या संविधान की प्रस्तावना से हट जाएंगे धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द? सुप्रीम कोर्ट में कैसी हुई बहस
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Secular And Socialist Word Dispute: भारत के संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द हटाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए बड़ी बेंच के पास भेजने से मना कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए सोमवार (25 नवंबर) को अगली तारीख दी है.

Supreme Court : क्या संविधान की प्रस्तावना से हट जाएंगे ' धर्मनिरपेक्ष ' और ' समाजवादी ' शब्द? सुप्रीम कोर्ट में कैसी हुई बहस

Secular And Socialist Word Dispute: भारत के संविधान की प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्द हटाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए बड़ी बेंच के पास भेजने से मना कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए सोमवार को अगली तारीख दी है. संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के ज़रिए 1976 में जोड़े गए इन शब्दों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है.

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़ने वाले 1976 के संशोधन की न्यायिक समीक्षा की गयी है. हालांकि, यह नहीं कहा जा सकता कि आपातकाल के दौरान संसद ने जो कुछ भी किया वह सब निरर्थक था. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने राज्यसभा के पूर्व सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी, अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और कुछ और लोगों की याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

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इससे पहले सितंबर, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की याचिका को ‘बलराम सिंह और अन्य’ द्वारा दायर अन्य लंबित मामलों के साथ सुनवाई के लिए संबद्ध किया था. उन्होंने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने का अनुरोध किया था. स्वामी की दलील में कहा गया कि प्रस्तावना न केवल संविधान की आवश्यक विशेषताओं को, बल्कि उन मौलिक शर्तों को भी इंगित करती है, जिनके आधार पर इसे एकीकृत समुदाय बनाने के लिए अपनाया गया था. अपनी पुलिस पर क्यों बिफरीं ममता...

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